भले ही वैश्विक रिपोर्टों में नवीकरणीय
ऊर्जा निवेशों के सम्बन्ध में भारत की प्रगति की प्रशंसा की गई है, पर देखा जाए तो भारत के लिए
ऊर्जा के हरित स्रोतों के मामले में वर्ष 2018 बहुत अच्छा नहीं रहा है. निवेशकों ने पाया कि नवीकरणीय
ऊर्जा से उतनी बिजली पैदा नहीं हो रही है जितनी उन्होंने उम्मीद की थी. इस
प्रक्षेत्र से वित्तीय प्रतिलाभ भी ठीक से नहीं प्राप्त हो रहा है. इसके अलावा
संसदीय पैनल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सरकार का प्रदर्शन नावीकरानीय ऊर्जा
को लेकर वर्ष 2018 में अच्छा नहीं रहा.परन्तु
स्थिति उतनी बुरी भी नहीं है क्योंकि दीव, दिल्ली और मुंबई ने सौर ऊर्जा के उपयोग के मामले में
अच्छी-खासी प्रगति की है जिसका अन्य शहर अनुकरण कर सकते हैं.
2018 में भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की
स्थिति के संदर्भ में भारत की उपलब्धियों और कमियों को कुछ इस तरह से हम देख सकते
हैं –विश्व
बैंक ने नवीकरणीय ऊर्जा की नीलामी के संदर्भ में भारत की बहुत प्रशंसा की है
क्योंकि भारत द्वारा सौर्य ऊर्जा का मूल्य बहुत कम निर्धारित हुआ है. रिपोर्ट
के अनुसार पहले से अधिक निवेश होने, स्वच्छ ऊर्जा संयत्रों को लगाने और
दुनिया का सबसे बड़े नवीकरणीय नीलामी बाजार आयोजित करने के चलते भारत चिली के बाद
दूसरे स्थान पर है.इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की
एक रिपोर्ट के अनुसार नवीकरणीय ऊर्जा से 27 फीसदी बिजली उत्पादन करके कर्नाटक इस
साल भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में अग्रणी राज्य बन गया है. तमिलनाडु अब
दूसरे स्थान पर है.
नवीन एवं
नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में छत पर लगाये जाने वाले सौर-संयंत्रों
से 1,095 मेगावाट बिजली
उत्पन्न की गई. महाराष्ट्र ने छत पर लगाये जाने वाले सौर-संयंत्रों से बिजली
उत्पन्न की जो अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है. साथ-ही-साथ महाराष्ट्र ने
छतों पर अधिकतम संख्या में सौर-संयत्र स्थापित किये.GAIL ने उत्तर
प्रदेश के पाटा पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स में देश का दूसरा सबसे बड़ा रूफटॉप सौर
ऊर्जा संयंत्र चालू किया.बिजली के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग के मामले में दीव देश का
पहला ऊर्जा अधिशेष वाला केंद्र-शासित प्रदेश बन गया है. साथ ही साथ दीव भारत का
पहला वह शहर बन गया है जो दिन के दौरान बिजली के उत्पादन के लिए 100 प्रतिशत
नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर है. दीव अन्य शहरों के लिए एक उदाहरण बन चुका है.
दक्षिणी
दिल्ली नगर निगम देश की
पहली नागरिक संस्था बन गई है जिसने अपने 55 से अधिक
भवनों की छतों पर सौर-पैनल लगाकर सौर ऊर्जा का उत्पादन किया.






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