बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बाएं किनारे पर स्थित कोलकाता पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यहाँ भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पांचवा सबसे बड़ा बंदरगाह है। यहाँ की जनसँख्या २ करोड़ २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरुप का विकास अंग्रेजों एवं फ़्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएं अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारंभिक केंद्र बिंदु के रूप में पहचान मिली है वहीँ दूसरी ओर ऐसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को सिटी ऑफ़ जॉय के नाम से भी जाना जाता है।
अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायु मार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केंद्र, विस्तृत बाजार वितरण केंद्र, शिक्षा केंद्र, औद्योगिक केंद्र तथा व्यापार का केंद्र है। अजायब घर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमण्डल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञानं नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारत वर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटर गाड़ी तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केंद्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं संपूर्ण भारत वर्ष का प्रमुख वाणिज्य केंद्र के रूप में कोल्कता का महत्व अधिक है।
आधिकारिक रूप से इस शहर का नाम १ जनवरी २००१ को रखा गया। इसका पूर्व नाम अंग्रेजी में कैलकटा था। लेकिन बांग्ला भाषी ऐसे सदा कोलकाता या कोलिकता के नाम से ही जानते हैं एवं हिंदी भाषी समुदाय में यह कलकत्ता के नाम से जाना जाता रहा है। सम्राट अकबर के चुंगी दस्तावेजों और पंद्रहवीं सदी के विप्रदास की कविताओं में इस नाम का बार – बार उल्लेख मिलता है। इसके नाम की उत्पत्ति के बारे में कई तरह की कहानियां मशहूर हैं। सबसे लोकप्रिय कहानी के अनुसार हिन्दुओं की देवी काली के नाम से इस शहर के नाम की उत्पत्ति हुई है। इस शहर के अस्तित्व का उल्लेख व्यापारिक बंदरगाह के रूप में चीन के प्राचीन यात्रियों के यात्रा वृतांत और फ़ारसी व्यापारियों के दस्तावेजों में मिलता है। महाभारत में भी बंगाल के कुछ राजाओं का नाम है। 400 words






0 comments:
Post a Comment