AMBITION

English and Hindi Dictations are very useful for stenography skill exams.

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Wednesday, 30 January 2019

HINDI DICTATION


   
              
              भले ही वैश्विक रिपोर्टों में नवीकरणीय ऊर्जा निवेशों के सम्बन्ध में भारत की प्रगति की प्रशंसा की गई है, पर देखा जाए तो भारत के लिए ऊर्जा के हरित स्रोतों के मामले में वर्ष 2018 बहुत अच्छा नहीं रहा है. निवेशकों ने पाया कि नवीकरणीय ऊर्जा से उतनी बिजली पैदा नहीं हो रही है जितनी उन्होंने उम्मीद की थी. इस प्रक्षेत्र से वित्तीय प्रतिलाभ भी ठीक से नहीं प्राप्त हो रहा है. इसके अलावा संसदीय पैनल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सरकार का प्रदर्शन नावीकरानीय ऊर्जा को लेकर वर्ष 2018 में अच्छा नहीं रहा.परन्तु स्थिति उतनी बुरी भी नहीं है क्योंकि दीव, दिल्ली और मुंबई ने सौर ऊर्जा के उपयोग के मामले में अच्छी-खासी प्रगति की है जिसका अन्य शहर अनुकरण कर सकते हैं.
              2018 में भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति के संदर्भ में भारत की उपलब्धियों और कमियों को कुछ इस तरह से हम देख सकते हैं विश्व बैंक ने नवीकरणीय ऊर्जा की नीलामी के संदर्भ में भारत की बहुत प्रशंसा की है क्योंकि भारत द्वारा सौर्य ऊर्जा का मूल्य बहुत कम निर्धारित हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार पहले से अधिक निवेश होने, स्वच्छ ऊर्जा संयत्रों को लगाने और दुनिया का सबसे बड़े नवीकरणीय नीलामी बाजार आयोजित करने के चलते भारत चिली के बाद दूसरे स्थान पर है.इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की एक रिपोर्ट के अनुसार नवीकरणीय ऊर्जा से 27 फीसदी बिजली उत्पादन करके कर्नाटक इस साल भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में अग्रणी राज्य बन गया है. तमिलनाडु अब दूसरे स्थान पर है.

         नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में छत पर लगाये जाने वाले सौर-संयंत्रों से 1,095 मेगावाट बिजली उत्पन्न की गई. महाराष्ट्र ने छत पर लगाये जाने वाले सौर-संयंत्रों से  बिजली उत्पन्न की जो अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है. साथ-ही-साथ महाराष्ट्र ने छतों पर अधिकतम संख्या में सौर-संयत्र स्थापित किये.GAIL ने उत्तर प्रदेश के पाटा पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स में देश का दूसरा सबसे बड़ा रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र चालू किया.बिजली के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग के मामले में दीव देश का पहला ऊर्जा अधिशेष वाला केंद्र-शासित प्रदेश बन गया है. साथ ही साथ दीव भारत का पहला वह शहर बन गया है जो दिन के दौरान बिजली के उत्पादन के लिए 100 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर है. दीव अन्य शहरों के लिए एक उदाहरण बन चुका है.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम  देश की पहली नागरिक संस्था बन गई है जिसने अपने 55 से अधिक भवनों की छतों पर सौर-पैनल लगाकर सौर ऊर्जा का उत्पादन किया.


HINDI DICTATION


          भारत सरकार ने 9 जनवरी, 2018 को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया. दरअसल महात्मा गाँधी 9 जनवरी के दिन ही दक्षिण अफ्रीका से 1915 में स्वदेश वापस लौटे थे. आजादी के बाद से ही बनारसी दास चतुर्वेदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को प्रवासी भारतीय केंद्र बनाने का सुझाव दिया था. लेकिन यह सपना बहुत बाद में पूरा हो पाया. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2003 से प्रवासी भारतीय सम्मेलन की शुरुआत की. इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार ने अलग प्रवासी मंत्रालय बनाया जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने विदेश मंत्रालय का अंग बना दिया.
               अब तक कई प्रवासी भारतीय सम्मेलन हो चुके हैं लेकिन 2018 का प्रवासी भारतीय सम्मेलन कुछ अलग रहा. भारत सरकार ने 9 जनवरी को दिल्ली में भारतीय मूल के सांसदों और मेयरों का एक सम्मेलन बुलाया. इसमें 24 देशों के करीब 140 प्रवासी जन-प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इन प्रतिनिधियों का मानना है कि इस कार्यक्रम से अलग-अलग देशों से भारत के सांस्कृतिक, व्यापारिक और द्विपक्षीय रिश्ते मजबूत होंगे. सरकार की ओर से पहली बार इस तरह का आयोजन किया गया. जानकार मानते हैं कि पूरी दुनिया में भी यह अपनी तरह का पहला सम्मेलन था.
                  यह सम्मेलन प्रवासी भारतीयों से संपर्क के जरिये दुनिया भर के देशों से रिश्ते मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया. सम्मेलन में परिचर्चा के लिए दो सत्र रखे गए थे. इनमें पहले सत्र में प्रवासी भारतीय सांसदों के संघर्ष से लेकर संसद तक की यात्रा पर चर्चा हुई. दूसरे सत्र में प्रवासी भारतीय सांसदों की उभरते भारत में भूमिका पर बात हुई.
          प्रवासी भारतीय सम्मेलन में मलेशिया, स्विट्ज़रलैंड, ब्रिटेन, कनाडा, फिजी, केन्या, मोरिशस, न्यूज़ीलैण्ड और श्रीलंका से आये प्रतिनिधि शामिल थे. हालाँकि सेनेट के सत्र की वजह से अमेरिका के प्रतिनिधि सम्मेलन में शिरकत नहीं कर पाए. सम्मेलन में श्रीलंका के अलावा किसी दक्षेस देश को आमंत्रण नहीं भेजा गया था.विदेश जाना भारतीयों के लिए कोई नयी बात नहीं है. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान बड़ी संख्या में भारतीय विदेशों में जाकर बसे. आजादी के बाद से लेकर अब तक यह पलायन जारी है. इस वक्त दुनिया में करीब 2.5 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी जड़ें भारत से जुड़ी हैं लेकिन वे विदेशों में रह रहे हैं. ऐसे लोगों को दो भागों में बाँटा जा सकता है.
      ये देश के अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान अदा कर रहे हैं. विश्व बैंक के अनुसार पिछले दशक में प्रवासी भारतीयों ने लाखों डॉलर कमाकर भारत भेजे हैं. साल 2002 से 2012 के बीच घर भेजे गए धन में 3 गुणा वृद्धि दर्ज की गई थी.

Monday, 28 January 2019

POLTICAL DICTATION







                          असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला एक बार फिर से सिर उठाने लगा है. यह मामला दरअसल देश भर में हमेशा से एक बड़ा राजनैतिक मुद्दा रहा है. असम और पश्चिम बंगाल में अवैध रूप से रहे बांग्लादेशियों का मुद्दा काफी संवेदनशील है. आमतौर पर तमाम गैर-असमी आबादियों को बंगलादेशी कह दिया जाता है, हालाँकि इनमें से कई भारतीय नागरिक भी हैं. NRC का पहला ड्राफ्ट आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि उन लोगों का क्या होगा जिनका नाम final draft में भी नहीं होगा. पर NRC के पहले ड्राफ्ट की चर्चा करने से पहले मैं आपको असम समझौते के बारे में बताना चाहती हूँ ताकि आपको पूरा का पूरा मुद्दा अच्छी तरह से समझ में आ सके.
                           असम में बाहरी बनाम असमिया के मसले पर आन्दोलनों का दौर काफी पुराना है. 50 के दशक से ही बाहरी लोगों का असम में आना एक राजनैतिक मुद्दा बनने लगा था. औपनिवेशिक काल में बिहार और बंगाल से चायबागानों में काम करने के लिए बड़ी तादाद में मजदूर असम पहुँचे. अंग्रेजों ने उन्हें यहाँ खाली पड़ी जमीनों पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया. इसके अलावा विभाजन के बाद नए बने पूर्वी पाकिस्तान से पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के साथ, असम में भी बड़ी संख्या में बंगाली लोग आये. तब से ही वहाँ रह-रह कर बाहरी बनाम स्थानीय के मुद्दे पर चिंगारी सुलगती रही. लेकिन 1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश में मुसलमान बंगालियों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की हिंसक कार्रवाई शुरू हुई तो वहाँ के तकरीबन 10 लाख लोगों ने असम में शरण ली. बांग्लादेश बनने के बाद इनमें से ज्यादातर लोग लौट गए, लेकिन तकरीबन 1 लाख असम में ही रह गए.
                         1971 के बाद भी कई बंगलादेशी असम आते रहे. जल्द ही स्थानीय लोगों को लगने लगा कि बाहर से आये लोग उनके संसाधनों पर कब्ज़ा कर लेंगे और इस तरह जनसंख्या में हो रहे इन बदलावों ने असम के मूल निवासियों में भाषाई, सांस्कृतिक और राजनीतिक असुरक्षा की भावना पैदा कर दी. इस भय ने 1978 के आस-पास वहाँ एक शक्तिशाली आन्दोलन को जन्म दिया जिसका नेतृत्व वहाँ के युवाओं और छात्रों ने किया. इसी बीच ने मांग की कि विधान सभा चुनाव कराने से पहले विदेशी घुसपैठियों की समस्या का हल निकाला जाए. बांग्लादेशियों को वापस भेजने के अलावा आन्दोलनकारियों ने 1961 के बाद राज्य में आने वाले लोगों को वापस राज्य में भेजे जाने या उन्हें कई और बसाने की माँग की.

AGRICULTURE HINDI DICTATION






मोदी सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण की महत्ता को देखते हुए देश में पहली बार खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का गठन किया है. खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने बजट 2018-19 में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए 1,400 करोड़ रू. आवंटित किये हैं. खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सभी 42 मेगा फ़ूड पार्क में अत्याधुनिक परीक्षण सुविधा स्थापित की जा रही है. खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रतिवर्ष औसतन 8% की दर से विकास हो रहा है. कृषि आय बढ़ाने के लिए डेयरी, पशुपालन, मत्स्य, पोल्ट्री इत्यादि के विकास पर भी जोर दिया जा रहा है. किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा का विस्तार मत्स्य एवं पशुपालन करने वालों तक कर दिया गया है. इसके लिए सरकार में प्रशिक्षण, सहायता और अनुदान देने की व्यवस्था की है. स्वयं सहायता समूहों के जरिये महिलाओं को ग्रामीणों आजीविका कार्यक्रम के अंतर्गत स्वाबलम्बी बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं.
टमाटर, आलू और प्याज जैसी शीघ्र नष्ट होने वाली फसलों की कीमतों को अनिश्चितता से बचाने के लिए ऑपरेशन फ्लडकी तर्ज पर ऑपरेशन ग्रीनयोजना शुरू की गई है. ऑपरेशन ग्रीन के द्वारा किसानों, उत्पादक संगठनों, कृषि सम्भार तन्त्र, प्रसंस्करण सुविधाओं, व्यवसाय प्रबंधन में सामंजस्य स्थापित किया जा रहा है. इसके लिए 500 करोड़ रुपये निधि की घोषणा की गई है. कृषि उत्पादों की विपणन प्रणाली में सुधार के लिए ई-पोर्टलएवं ग्रामीण कृषि बाजार” को स्थापित किया जा रहा है जो कि कृषि विपणन प्रणाली की दिशा में एक क्रान्तिकारी कदम है. इससे किसान घरेलू स्तर पर उपलब्ध कृषि उत्पाद का मूल्य संवर्धन कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.
देश में रिकॉर्ड फसल उत्पादन के बाद कृषि उत्पाद को सुरक्षित रखना सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण है. गैर-सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ देश में प्रतिवर्ष 670 लाख टन खाद्यान्न नष्ट हो जाते हैं. भारत सरकार के सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजीके अध्ययन के अनुसार, उचित भंडारण की कमी के कारण देश में बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी होती है जिससे लाखों लोगों की भोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है. खाद्य पदार्थों की बर्बादी के कारण देश में भुखमरी और महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है. भंडारण की समुचित व्यवस्था से खाद्यान्न संरक्षण द्वारा किसानों को फसल की समुचित कीमत मिलने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर खाद्य पदार्थ मुहैया हो सकता है. कृषि मंत्री स्वयं स्वीकारते हैं कि देश में बड़े पैमाने पर प्याज, टमाटर, आलू इत्यादि खेत से उपभोक्ता तक पहुँचने से पूर्व ही नष्ट हो जाते हैं.

Poltical Dictation






The Bharatiya Janata Party expanded its footprint across the Northeast in 2018 by forming coalition governments in Manipur, Nagaland and Tripura. But a regional party, Mizo National Front, struck the final blow in Mizoram to make the region “Congress­free”. The year was also the best and the worst for women in the Northeast. Assam’s sprinter Hima Das made history for Indian athletics by striking gold in the 400m at the World U­20 Athletics championship in Finland and Manipur pugilist M.C. MaryKom created a world record at 35 by winning her sixth gold at the World Women Boxing championship. Assam’s Rima Das became a household name when her low budget film Village Rock-stars got the best national film award and was nominated as India’s entry for the Oscars in the best foreign films category.

On the flip side, Meghalaya­based activists Agnes Kharshiing and Amita Sangma battled for life after members of alleged coal mafia assaulted them for following and documenting illegally stacked coal and coal­laden trucks. The assault on them and a mishap in an illegal mine at Kisan in the State’s East Jaintia Hills district a month later put the spotlight on an unholy nexus that encourages coal mine owners many of them lawmakers flout an April 2014 ban by NGT on ‘rathole’ mining with impunity. NRC, Citizenship Bill The issue that hogged the headlines was that of exercise to update the National Register of Citizens in Assam and the Narendra Modi government’s bid to pass the Citizenship (Amendment) Bill, 2016, that seeks to legitimise the stay of non­Muslims who migrated from Afghanistan, Bangladesh and Pakistan till December 2014 due to alleged religious persecution.

The defining moment of the NRC exercise began past the midnight of December 31, 2017, with the publication of the first draft that accommodated 1.39 crore out of the 3.29 crore applicants. The complete draft was released on July 31 with the names of 40.07 lakh people left out of the list. The claims and objections round for the excluded to be back on the list by producing relevant proof of citizenship ends on December 31.
The crowning glory for Assam was the appointment of Ranjan Gogoi, the man at the helm of the Supreme Court- monitored NRC, as the first Chief Justice of the apex court from the Northeast. The BJP, which began its ‘saffron surge’ in the region by winning the Assam elections in 2016, formed the government in Manipur and Arunachal Pradesh in 2017.

SPORTS DICTATION







A dominant India will look to seal the three-ODI series with another collective effort and consolidate their position in the ICC women’s championship table when they face New Zealand in the second one-dayer here on Tuesday.

The Indian women’s team put behind off-field controversies by making a superb start to the three-ODI rubber - which is part of the ICC Women’s Championship series - thrashing New Zealand by nine wickets in the opening match.
Ahead of the series, Indian women’s cricket had found itself in the middle of a furore when ODI skipper Mithali Raj and then coach Ramesh Powar had a fallout during the semifinal of the T20 World Cup in West Indies.


Stylish opener Mandhana played a starring role, hitting her fourth ODI century as India overhauled the target in 33 overs to improve their position to fourth in the ICC championship table, which will determine qualifiers for the 2021 World Cup.

A win in the second ODI will seal the series and would be a fitting revenge for the Indian team, which had lost the home leg of the ICC Women’s Championship series 1-2 to New Zealand during the last cycle that ran from 2014-2016.

New Zealand, on the other hand, are ranked second in the ICC Women’s Championship table and are guaranteed direct entry into the 50-over World Cup being the hosts.

In the first ODI, the Kiwis have looked clueless against India, a team that ended the hosts’ hope of qualifying for the knockouts at the ICC Women’s World Cup 2017 and the Women’s World T20 last year.New Zealand’s batting was in disarray in the opening match with most batswomen failing to capitalise on starts.

Opener Suzie Bates (36) and skipper Amy Satterthwaite (31) were the top-scorers for New Zealand in the first match and they would hope to convert these starts in the second ODI.
“We need to keep backing our abilities and play with more confidence. It is a bit of a mental challenge for us to step up against India,” skipper Satterthwaite had said after the first ODI.

“Not relying on a couple of players, whole batting order needs to contribute. Also need to back all our bowlers to execute.”



Sunday, 27 January 2019

FAQ OF STENOGRAPHY







Que. 1. How to increase speed of stenography to note the dictation? 


Ans. It is easy to increase speed to note stenography but need hard work.

Step 1: Initially write dictation to see in dictation.

Step 2: Then record this dictation with the help of stopwatch in 80 wpm speed.

Step 3: Now practice from recording this same dictation 5-6 times.

Step 4: After practice this dictation try to translate it.

Step 5: To increase speed also in translation try this same dictation 3 times.

You will get that now those words/ gramlogues/ Phrase/ special words are comes in this dictation are very easy  in shorthand dictation and translation.